Samvidhan Diwas par Dalit Dulhe ko nahi mili mandir mein entry

संविधान दिवस पर भी दलित दूल्हे को नहीं मिली मंदिर में एंट्री | Samvidhan Diwas par Dalit Dulhe ko nahi mili mandir mein entry

भारत मां, ये कैसा संविधान दिवस! इंदौर में दलित दूल्हे को मंदिर में रोका, मजार पर मांगी दुआ!

दोस्तों! संविधान दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं! आज का दिन, बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के सपनों को याद करने का दिन है, उस संविधान को नमन करने का दिन है जिसने हमें समानता, स्वतंत्रता और न्याय का अधिकार दिया! आज का दिन गर्व से सीना चौड़ा करके कहने का दिन है कि हम एक ऐसे भारत में रहते हैं जहाँ हर व्यक्ति समान है!

…लेकिन!

आज ही, संविधान दिवस के दिन, एक ऐसी खबर आई है जिसने मेरे दिल को झकझोर कर रख दिया! खबर है मध्य प्रदेश के इंदौर जिले के सांघवी गांव से! खबर है उस दलित दूल्हे की, जिसे सिर्फ इसलिए मंदिर में प्रवेश करने से रोक दिया गया क्योंकि वो दलित है! क्या हम वाकई 21वीं सदी में जी रहे हैं? क्या यही है ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ का नारा? क्या यही है ‘अमृत काल’ का भारत?

जानिए पूरा मामला!

खबर के मुताबिक, देपालपुर का रहने वाला एक दलित दूल्हा अपनी बारात लेकर राजस्थान के गीठान जा रहा था. रास्ते में सांघवी गांव में स्थित राम मंदिर में दर्शन करने और भगवान का आशीर्वाद लेने के लिए रुका. लेकिन, सोचिए क्या हुआ? राजपूत समाज के कुछ लोगों ने बारात को रोक दिया! उन्होंने दूल्हे को मंदिर में घुसने से मना कर दिया! सिर्फ इसलिए क्योंकि वो दलित है! सोचिए, उस दूल्हे के दिल पर क्या बीती होगी! उसकी भावनाओं का क्या हुआ होगा? उसकी खुशियों को पल भर में मातम में बदल दिया गया!

क्या ये वाकई सच है? क्या ये भारत है?

जी हां, दुर्भाग्यवश, ये सच है! ये हमारे भारत की सच्चाई है! एक ऐसा भारत जहां आज भी जाति के नाम पर भेदभाव होता है! एक ऐसा भारत जहां संविधान के बावजूद दलितों को मंदिरों में जाने से रोका जाता है! एक ऐसा भारत जहां इंसान को इंसान नहीं समझा जाता, सिर्फ उसकी जाति देखी जाती है!

पुलिस भी बेबस!

सोमवार को सांघवी गांव के उस राम मंदिर में जमकर बवाल हुआ! दो घंटे तक विवाद चला! राजपूत समाज के लोगों ने मंदिर के दरवाजे पर ताला लगा दिया! दोनों पक्षों में जमकर हंगामा हुआ! पुलिस भी मौके पर पहुंची! उन्होंने लोगों को समझाने की बहुत कोशिश की, लेकिन भीड़ नहीं मानी! भीड़ जाति के नशे में चूर थी! भीड़ ने इंसानियत को ताक पर रख दिया था!

मंदिर नहीं तो मजार सही!

दलित दूल्हे और उसके परिवार को जब मंदिर में प्रवेश नहीं करने दिया गया, तो उन्होंने एक बहुत ही मार्मिक फैसला लिया! उन्होंने मजार पर जाकर बाबा के पैर छुए और अपनी बारात आगे बढ़ाई! उन्होंने चेतावनी दी कि अगर उन्हें मंदिर में दर्शन नहीं करने दिया जाएगा, तो वे इसी तरीके से मजार पर दर्शन कर अपनी परंपरा को आगे बढ़ाएंगे! सोचिए, ये कितनी बड़ी बात है! एक तरफ मंदिर में अपमान, दूसरी तरफ मजार में सम्मान! क्या हमारा समाज इतना गिर चुका है?

ये सिर्फ एक घटना नहीं, ये एक चेतावनी है!

ये सिर्फ एक घटना नहीं है दोस्तों! ये एक चेतावनी है! ये हमें जगाने के लिए है! ये हमें याद दिलाने के लिए है कि बाबा साहेब ने हमें कैसा भारत बनाने का सपना दिखाया था! ये हमें याद दिलाने के लिए है कि संविधान में हर नागरिक को समान अधिकार प्राप्त है!

अब क्या करना है?

अब हमें चुप नहीं बैठना है! हमें आवाज उठानी है! हमें इन जातिवादी ताकतों के खिलाफ लड़ना है! हमें समाज में समानता और न्याय स्थापित करना है! हमें हर उस व्यक्ति का साथ देना है जो भेदभाव का शिकार होता है!

ये कुछ बातें हैं जो हम कर सकते हैं:

  • जागरूकता फैलाएं: इस घटना को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाएं! सोशल मीडिया पर शेयर करें! अपने दोस्तों और परिवार के सदस्यों को बताएं! लोगों को जातिवाद के खिलाफ जागरूक करें!
  • शिकायत दर्ज कराएं: अगर आपके आसपास ऐसी कोई घटना होती है, तो तुरंत पुलिस में शिकायत दर्ज कराएं! दोषियों को सजा दिलवाएं!
  • दलितों का समर्थन करें: दलितों को हर संभव मदद करें! उन्हें शिक्षा, रोजगार और सामाजिक जीवन में आगे बढ़ने में मदद करें!
  • जातिवाद के खिलाफ लड़ें: हर उस मंच पर आवाज उठाएं जहां जातिवाद को बढ़ावा दिया जाता है! जातिवाद के खिलाफ कानून को सख्ती से लागू करने की मांग करें!
  • संविधान का पालन करें: संविधान में दिए गए अधिकारों और कर्तव्यों का पालन करें! एक न्यायपूर्ण और समान समाज बनाने में अपना योगदान दें!

दोस्तों, ये लड़ाई आसान नहीं है! लेकिन, हमें हार नहीं माननी है! हमें मिलकर लड़ना है! हमें मिलकर एक ऐसा भारत बनाना है जहां हर व्यक्ति समान हो! जहां किसी को भी जाति के नाम पर भेदभाव का शिकार न होना पड़े!

जय भीम! जय भारत!

— > लेखक: जुबेर सर